रविवार, 14 सितंबर 2008

लालबत्ती वालों से सावधान

मुंबई ,बनारस,बैंगलुरु,अहमदाबाद और अब दिल्ली। हर बार आतंकियों ने जब चाहा जहां चाहा अपने मंसूबो को अंजाम दिया। मंसूबा तो हमारी सरकार भी बनाती है, बनाती रहेगी पर अफसोस, आतंकी हमारी सरकार को औकात बार बार याद दिला देते हैं मुंबई में बम विस्फोट की घटना तो पहली घटना थी और दिल्ली की घटना आखिरी होगी। हर विस्फोट के बाद देश के बेदम और कछुआ खाल में छिपे नेता राग आलापते है देश में शांति बनाए रखें ऐसा लगता है कि पीड़ित लोग देश में दंगा फैला देंगे या फिर आतंकी इनकी विनती सुनकर शांत बैठ जाएंगे। दरअसल इन कछुआ छाप नेताओं को डर होता है कि गुस्साए लोग इनके गिरेबां तक पहुंच जाए। हमारे देश की पूरी नेता बिरादरी शिखंडी के वंशज है। हर विस्फोट के बाद रटा रटाया बयान .राष्ट्रपति ,प्रधानमंत्री ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील ।और हम तो अपनी जमीर को कब का नीलाम कर चुके है एक वफादार जानवर (नाम नहीं लुंगा)की तरह अंगुलियों का इशारा पाते ही घरों में बैठ जाते हैं एक खबरिया चैनल पर विजय गोयल ,राशिद अल्वी दिल्ली विस्फोट के बारे में बातचीत करने बैठे थे। गोयल ने राशिद से पूछा आतंकियों को रोकने के लिए क्या कर रहें है राशिद अल्वी ने इस सवाल पर चार मिनट तक बीसी की पर इस सवाल , जो हम आम जनता से जुड़ा था का जवाब सुनने को दम साधे बैठा मैं सवाल का जवाब नहीं पा सका। जिस देश में सरकार के पास बताने को विजन तक नहीं, वो क्य़ा करेगी सिवाय बंटाधार के।हां उन्होंने बीजेपी के शासन काल में हुए सारे आतंकी घटनाओं का उल्लेख जरुर कर दिया। एक तरफ आतंकी एक जुट हो रहे हैं तो नेता बंदरो की तरह आपस में लड़ते नज़र आते हैं कम से कम आतंकी से ही सीख लेते। लालू प्रसाद मुलायम जैसे सिमी के तरफदारी करने वाले नेता तो इसी देश में पनप सकता है तो रामविलास जैसा दानवीर भी इसी देश में रहता है। बिहार के बाढ़ मे मरने और मर मर के जिने वाले लोगों की परवाह भले ही हो पर बंग्लादेशियों की पनाह की बात जरुर करेगा। आखिर इस देश का संविधना हर किसी को बोलने का अधिकार जो दे रखा। मुर्ख तो सीमा पर लड़ने और लड़ते हुए जान की बाजी लगाने वाले जवान है जो कर्तव्य के लिए घर बार छोड़कर जंगलों में रहता ,लड़ता और मर जाता है। मैं इस ब्लाग को पढ़ने वाले तमाम लोगों से आग्रह करता हूं कि वो आतंकियो से ज्यादा इन नेताओं से सावधान रहें ।किसी लावारिस वस्तु से भले सावधान रहे या रहे पर लाल बत्ती वाली गाड़ी से जरुर सावधान रहें। और आप इन नेताओ के भरोसे अपनी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त हैं तो संभल के रहना आपकी उम्र काफी कम है ।वैसे भी लाल बत्ती खतरे का निशान ही तो है ।आप समझे तो इसमें खादी का क्या दोष

3 टिप्‍पणियां:

anil yadav ने कहा…

achcha prayas hai...apni baat doosron tak panhuchane ka ....lekin kabhi kabhi apni baudhikta dikhane ke chakkar me bahak jaate hai....waise aaj kal har koi blog jagat me ulti kar raha hai to aapne bhi kar di hai ....lekin khyal rakhiyega doosron se kuch alag karne ka prayas kariyega.....nahi to khud hi likhoge aur khud hi padhoge.....

कुमार आलोक ने कहा…

i am out of delhi ....25 ko vaapas aa rahaa hoon ....aapse dher saari baate hongi..
Thanx
Kr Alok

anil yadav ने कहा…

क्या बात है कोई नई पोस्ट नही ....कलम की स्याही सूख गयी क्या....भाई कुमार आलोक आपसे मिलने वाले हैं मुबारक हो लेकिन मुलाकात के वक्त हमको न भूलियेगा और हमारे योगदान को भी याद है कि लिखूँ .....समझ गये न....हा हा हा.....